Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अब तो कहने लगे है सभी.....यार के अलावा भी

 

अब तो कहने लगे है सभी.....यार के अलावा भी
कुछ और बात करो विपुल प्यार के अलावा भी

 

 

बहुत से ऐसे हसीन मिलें थे........अब जो याद नही
जिन पे फिदा थे तुम विपुल दिलदार के अलावा भी

 

 

आजकल चाप्लूसी-चुगली का ही है दफ्तरों में जोर
है ये पूरा कारोबार विपुल...रोज़गार के अलावा भी

 

 

जुदाई में भी हमे किसी का शिकार तो होना था
बहुत से यार थे विपुल दिलदार के अलावा भी

 

 

इस वीरान जगह में ये महकती खुशबू कैसी है
कोई तो है यहाँ विपुल दरों-दीवार के अलावा भी

 

 

पतझड़ में उसके हसीन होँठ देखे तो यकीन आया
कि खिलते है यहाँ फूल विपुल बहार के अलावा भी...........विपुल त्रिपाठी...बनारस

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