Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अगर तू चाहे तो सबको सच मान,के उसपे भी मनाही कोई नही

 

अगर तू चाहे तो सबको सच मान,के उसपे भी मनाही कोई नही
या फिर इन आंखों में देख बेगुनाही....और मेरी सफाई कोई नही

 

अकसर सुनी सुनाई बातो के धुँधलके में ठीक दिखाई नही दिया करता है
कि भीड़ भड़ाके के शोरोगुल में कुछ भी ठीक से सुनाई नही दिया करता है
ग़र इक-दूजे पे भरोसा ना हो....तो इससे बड़ी जग हसाई कोई नही
ले फिर इन आंखों में देख बेगुनाही.........और मेरी सफाई कोई नही

 

कि हर किसी की ज़िन्दगी में कभी कभी कुछ इस तरह के हालात बन जाते है
की अपने ख़ुद के ही दुश्मन फिर अपने ख़ुद के प्यार और जज़्बात बन जाते है
मै खामोश हू तो क्या, यकीन कर की बात मैंने छिपाई कोई नही
ले फिर इन आंखों में देख बेगुनाही....और मेरी सफाई कोई नही..........विपुल

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