Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अपने सूटकेस में मेरा सलाम भी कहीं रख लेना

 

अपने सूटकेस में मेरा सलाम भी कहीं रख लेना
मेरा कुछ ले जाने का इंतेज़ाम भी कहीं रख लेना

 

के तेरे बिन बड़े तन्हा गुजरेंगे मेरे सुबह और शाम
ऐसा करो तुम मेरे सुबह-शाम भी कहीं रख लेना

 

जाते जाते मेरी कुछ निशानिया भी साथ ले लीजिए
मेरे ऊपर लगे हुए ये इल्ज़ाम भी कही रख लेना

 

इन खतो के अन्दर गुलाब कि पंखुडियां लपेट रखी है
कि गुलाबो में लिपटे हंसी पैग़ाम भी कहीं रख लेना

 

कि शायद नए शहर में तुम्हारे बहुत काम आए ये
मेरे बताये हुए ये एहतराम भी कहीं रख लेना..............विपुल [©VT]

 

 

[एहतराम=तमीज़,etiquettes]

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