भाँप के वो हाल मेरा....हलका सा इशारा करता है
और इतने पे भी दिल मेरा,गुलांछे मारा करता है
कातिल है वो हसीन बड़ा,कत्ल से नही हिचकता है
हुस्न से अपने रोज़ मुझे वो जान से मारा करता है
अदाओं से अपनी सरे महफिल पहले तो उकसाता है
जाता हूँ जब पास उसके तो हंस के किनारा करता है
कुछ तो मेरे भी नसीब में लिखा है उससे यूँ हारना
कुछ वो आँख में लाये आँसू कब दिल ये गंवारा करता है
आज कल शम्मा को भी परवाने संग झूमते देखा है
कभी कभी वो भी हमको कि छुप छुप के निहारा करता है
वैसे तो है बहुत ज्यादा मॉडर्न और बड़े दिल का
किसी और को देख लूँ तो हाल दुरुस्त हमारा करता है................विपुल
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