Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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छोड़िये भी जमाने को...ज़माना क्या है

 

छोड़िये भी जमाने को...ज़माना क्या है
जब रिश्ते मानते नही..निभाना क्या है


नंगे राजा के कपड़ों की....तालिया सुन
विपुल तुझ जैसो का अफसाना क्या है

 

कि ये ख्यालो की मुफलिसी का दौर है
छोड़िये कलम किसकी..निशाना क्या है


ये गधे घोड़े ख़च्चर...सब भगवान के है
अपना लो.......तुमको अपनाना क्या है

 

 

Vipul Tripathi

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