Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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धक धक करते है लफ्ज़ मेरे

 

धक धक करते है लफ्ज़ मेरे,.....जब तेरा फसाना होता है
कलम धड़कती है मेरी...कि तेरा खयालो में आना होता है

 

अजनबी जानता है जब....उसकी नज़रे मुझसे मिलती है
उछल आता है मुह तक दिल,आँखों का निशाना होता है

 

ना राख हुआ ये आज तक और ना सोना ही हो पाया
फिर भी दिल को आग में इक,हमे रोज़ जलाना होता है

 

मोहब्बतो में ये हिसाब-किताब के बहीखाते बंद करो
कि इश्क़ मासूम होता है भला कोई और पैमाना होता है

 

बंदगी का हिसाब रखने वाले भक्त ने बताया ये राज़
आजकल खुदा इतने है.....कि सबको आज़माना होता है

 

वैसे तो हर मोड़ पे दिल ने बेवफाई करी है मुझसे
पर सीने में संभाल रखा है कि तेरा आनाजाना होता है..........विपुल त्रिपाठी

 

 

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