Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दिल के अलावा आंखों में भी बसा रखा है

 

दिल के अलावा आंखों में भी बसा रखा है
दोस्त तुझे हमने कहाँ कहाँ छिपा रखा है

 

 

हाँ वक्त वो बीते वैसे तो जमाने हो गए
उन लम्हों को मगर ताजा सा बना रखा है

 

 

कि दिल में इक तूफान भी रहता है मेरे
जिसने कभी-कभी आँखों को बरसा रखा है

 

 

तन्हाईयों में तेरी यादों का काफिला सा है
बाद में सोचता हूँ तुझे संग कहाँ रखा है

 

 

लगने लगी है मुझे मीठी यादों की तड़प
इसलिए हर ज़ख्म को मैंने हरा रखा है......विपुल त्रिपाठी.

 

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