Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दिल ने खाया ज़ख्म तो....एक आह निकली

 

दिल ने खाया ज़ख्म तो....एक आह निकली
खून की हर बूँद पे.......... तेरी चाह निकली

कुदरत की साज़िशो कि......इंतेहा तो देखिये
सिर्फ़ तेरे दर तक़.......मेरी हर राह निकली

कि दीवानगी में मेरी....... खुदा का हाथ था
इसे देख वो कहके..... हाये-अल्लाह निकली

तुझे पूजते पूजते.............. करिश्मा ये हुआ
दिल के अन्दर पीर की..इक दरगाह निकली

अपना नज़रिया सोच..... जिसपे मै इतराया
मेरी नजर नही वो...... तेरी निगाह निकली

मेरे फना होने के बाद...... इस महफिल में
मेरी इस बयानगी पे........ वाह वाह निकली............विपुल

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