Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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डूबा सूरज और साये भी.... चुपचाप उतर के चल दिए

 

डूबा सूरज और साये भी.... चुपचाप उतर के चल दिए
हम भी तेरी याद के...साये का हाथ पकड़ के चल दिए

 

दूर् से इन राहो के हर मोड़ पे वो नजर आया मुझे
दीवानो सा दौड़ पास गए तो धोखे नजर के चल दिए

 

अजनबी शहर में भी सबकी खोज ख़बर खूब ली मैंने
और फिर तन्हाइयों में बिना अपनी ख़बर के चल दिए

 

तेरे शहर में पास तेरे सब अपना छोड़ आए सनम
अब अपने शहर में देखिये बिना दिलोजिगर के चल दिए

 

कि प्यार मोहब्बत की भी कभी कुछ बातें मुझसे कीजिये
ये भी क्या बात हुई की आये और बिगड़ के चल दिए

 

के माना इश्क में तुमको भी सुनने पड़े दुनिया के तंज
पर मुझसे क्या खता हुई जो मुझपे बिफर के चल दिए

 

टूटे दिल के टुकड़ों को तुम उमर भर बीनते रहे विपुल
फिर सालों बाद उनसे मिलें और हाय बिखर के चल दिए...............विपुल

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