Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दुःख अफसाना नही के तुझ से कहते

 

दुःख अफसाना नही के तुझ से कहते
ये कोई पैमाना नही के तुझ से कहते

 

खूब चले खुदागिरी की दुकान पर
दिल ये माना नही के तुझ से कहते

 

दिल बेहाल तो है...पर क्या करे
अब दोस्ताना नही के तुझ से कहते

 

हर ज़ख्म के पीछे चेहरा है पर कोई
तुझसे पुराना नही के तुझ से कहते

 

मैंने अकेले वफा यूँ है निभाई
ख़ुद भी जाना नही के तुझ से कहते......विपुल त्रिपाठी

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