Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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एक अफसाने का अंत....

 

कह तो रहे हो मुझे भूल जाओ भूल जाओ तुम यों बार बार
तुम्हे सताने के लेकिन तरीके जानता हूँ....मै कई कई हज़ार

 

यादों में संग जो रहा करोगे तो क्या करोगे
गजलों में मेरी दिखा करोगे तो क्या करोगे

 

फिसलन भरी है बहुत...इस शहर की राहे
पीने का सबब बना करोगे तो क्या करोगे

 

अच्छा तुम बस मेरे दिल को समझा दो
उसमे कैद जो रहा करोगे तो क्या करोगे

 

उसने समझाया...विपुल मै उस मोड़ पे हूँ
मुझसे अब जो वफ़ा करोगे तो क्या करोगे.......विपुल त्रिपाठी

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