Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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इस क़दर क्यो तनहा रहते हो

 

इस क़दर क्यो तनहा रहते हो
साथ हो पर.......कहाँ रहते हो

 

दिले नाकाम....सम्भाले हुए है
क्या करें......तुम वहाँ रहते हो

 

मेरे कलाम में....अक्स तुम्हारा
हम चाहे ..........जहाँ रहते हो

 

ज़िक्र मेरा सुन आँख ना भरिये
जैसे ज़ख्म के.....निशा रहते हो........विपुल त्रिपाठी

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