Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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इस तरह मुझे अब तेरी अदा लगती है

 

इस तरह मुझे अब तेरी अदा लगती है
गर्मी में जैसे ठंडी ठंडी हवा लगती है

 

 

तू भी कभी सुन ओ दिल में रहने वाले
मुझे तो धड़कन भी तेरी सदा लगती है

 

 

तेरे ही खयालो में रहता हूँ उजालो में
तेरे ही ख्वाब.जब आँख जरा लगती है

 

 

तेरा जिक्र कर लोग और दिल दुखाते है
जहाँ हो ज़ख्म और चोट वहा लगती है

 

 

तेरा कहना मेरी शायरी पे कि "वाह- वाह"
विपुल बात ये मामूली मुझको खुदा लगती है.........विपुल त्रिपाठी

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