फौलाद का भी.....चूरा बना देता है
ये शहर सबको अधूरा बना देता है
खा जाता है सबको ये नोच नोच के
कि आदमी को ये कूड़ा बना देता है
इसके अन्धेरे छुपा लेते है सब हुनर
मदारी को ये जमूरा बना देता है
गरमा गरम अखबारमें दोपहर तक
वड़ा पाव-छोला भटूरा बना देता है
फौलाद का भी.....चूरा बना देता है
ये शहर सबको अधूरा बना देता है........विपुल
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY