Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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गुजर देखी ना बसर देखा

 

गुजर देखी ना बसर देखा
ये कैसा अपना घर देखा

 

 

मुझे कभी मिल भी जाइये
अब मुझे नही है सबर देखा

 

 

लोग मुझे शराबी कहते है
उनकी नजरों का असर देखा

 

 

जब इश्क नाम का रोग देखा
तो दवा को बेअसर देखा

 

 

के क्यो मै शायर बन गया
क्यो तुझको एक नजर देखा

 

 

कि मारे और रोने ना दे
हसीन भी ऐसा जबर देखा

 

 

अपना दिल कही भी ना मिला
उफ भटक के दर-बदर देखा

 

 

वो भी खोये खोये रहते है
मेरी चाहतों का असर देखा

 

 

जब से टूटा है दिल मेरा
शायरी में बिखर बिखर देखा

 

 

मैंने अपनी ही आंखों से
कि अपना खूने जिगर देखा

 

 

मुसीबतों की गोद के अंदर
इस विपुल को बेखबर देखा

 

 

कि चलिये ख़तम भी करते है
ये रंगीन एक सफर देखा

 

 

सब चाहते है तो बढ़ाते है
सफर को लहजा बदल देखा

 

 

उफ जब वो सामने आया
हमने अगल बगल देखा

 

 

देखे बागवान क्या करेगा
खिला है अबकि कमल देखा

 

 

वो हसीन मेरे साथ है तो
दोस्तों ने भी जल-जल देखा

 

 

कभी किसी को नही मिला
सबने सपनो का महल देखा

 

 

कहते है बहारे आ जाती है
तो कर लो उससे पहल देखा

 

 

सबसे हसीन है यार मेरा
भले तुमने ताजमहल देखा

 

 

आज तक दिल से गया नही
था मैंने जिसे एक-पल देखा

 

 

जब साथ थे तो झगड़ लिए
दूर् है तो हाथ मल-मल देखा

 

 

पहले इश्क की बात थी और
वैसा ना आज ना कल देखा

 

 

कि रात भर कराहा है कोई
कितना बिस्तर पे है सल देखा

 

 

कि बहुत शेर हो गए विपुल
बस करो लहजा भी बदल देखा.........विपुल त्रिपाठी

 

 

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