Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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गुमशुदा हूँ यारो....मिल जाऊँ तो बता देना

 

गुमशुदा हूँ यारो....मिल जाऊँ तो बता देना
ये मेरा घर है मुझको,यहाँ तक पहुँचा देना

 

कि सबकुछ देख रहा हूँ इस आइने के अन्दर
शायद कही मै भी हूँ, कुछ मदद करा देना

 

इस भूल-भुलैया में, इक राह् तुम तक भी होगी
वो कौन सी राह् है, तुम मुझको ये बता देना

 

ख़ुद अपने पैरों में, मैंने बाँधी थी जंजीरे
आसाँ नही था वरना,मेरा तुझको गँवा देना

 

अब मिलूंगा जो तुझसे,निगाहें ना मिलाऊँगा
गंवारा नही है मुझको, कि तुझे फिर रुला देना

 

किस्मत में जो नही था,ख्वाबों का आशियाना
कम से कम मुझे तुम,अपने दिल में तो बसा लेना

 

कि दूर् नही गया होगा,अभी नाराज राही
भाग के उस डगर पे,तुम उसे अभी बुला देना

 

माना की मेरा किस्सा,कालिख है किस्मत की
तो काजल बना के इसको,आँखों में छिपा देना

 

जो मिल गया है वो भी तो,खुदा की ही देन है
तुझे कसम है ऐ दिल,की तुम इससे निभा देना

 

शायद मिल जायेंगे हम भी,इस भीड़ में कहीं
एक बार तुम जोर से,फिर नाम तो मेरा देना ..............विपुल

 

 

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