हाथ लगाओ तो यही हर शीशा कहता है
आइनो में अक़्स नही तिलिस्म रहता है
पूरी क्लास ने था जो स्कूल छोड़ दिया
वहाँ आज भी बच्चो का हुजूम पढ़ता है
कहने को दरिया समंदर में फना होती है
इसके हर घाट पे हमेशा पानी बहता है
यूँ तो तुमसे बिछड़ के सम्भल गया मै
एक दर्द सा है जो दिल में बना रहता है.
तेरे जाने के बाद भी तेरे घर की दीवार पे
कुछ है शायद...जो रोज़ दिये सा जलता है......विपुल त्रिपाठी..
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