हम बहती हवा है....हमारा वतन-ओ-ठिकाना मत पूछो
कब तूफान हो के किसे बना लेंगे निशाना.....मत पूछो
हमे कई सालों से ख़ुद...अपनी ही.......कोई ख़बर नही
ऐ जमाने,हमसे तो कम से कम हाले-ज़माना मत पूछो
मै सितारा हूँ..समंदर में मुझे देख, देखो अपनी दिशा
मैं ज़मीन से हुआ था कब फ़लक को रवाना मत पूछो
महफिल में मेरी आ गए तो लो अब शायरी का मज़ा
विपुल कब...किसके लिए..... हुआ था दीवाना मत पूछो.......विपुल त्रिपाठी
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