Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

इस शहर में सिर्फ़ बाज़ार ही बाज़ार है दोस्तों

 

इस शहर में सिर्फ़ बाज़ार ही बाज़ार है दोस्तों
हर किसी की पीठ पे....एक इश्तेहार है दोस्तों

 

वफ़ा की दुकान पे भी ज़बर्दस्त सेल लगी हुई है
के "आजाओ-ले जाओ" माल तैयार है दोस्तों

 

मेह्बूबो की दुकानों में मुनाफे ही मुनाफे है
कीमत मांगो तो कह देते है,कि प्यार है दोस्तों

 

वूमन डे...ह्यूमन डे..वेलेंटाइन डे...सनशाइन डे
कि जेब काटने के बहाने कई हज़ार हैं दोस्तों

 

प्रीकौशन-फ्रीकौशन की तब से बैण्ड बज गई है
जब से आई पिल-शाई पिल की बहार है दोस्तों

 

की इश्क के सुपर मार्केट में जां करके तो देखिये
इश्क और वफ़ा सब कुछ बिकने को बेकरार है दोस्तों

 

लेकिन सुनते है शहर में इक सिरफिरा शायर भी है
जिसको आज भी बिकने से साफ़ इनकार है दोस्तों..............विपुल

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ