जब से हम मिलें हैं,है हर बात का हंगामा
खामोश निगाहों से......मुलाकात का हंगामा
खयालो में सुलगते हुए मेरे सुबहो शाम
और फिर चाँदनी रात में चाँद का हंगामा
नसीब में लिखी हुइ जुदाइयों की दूरियाँ
संग आंखों से बरसती बरसात का हंगामा
इश्क के समंदर में हालातों के तूफान
कश्ती में डगमगाते जज़बात का हंगामा
इक बार इश्क में पड़े तो हमने ये जाना
कभी बात का,तो कभी बिन-बात का हंगामा..........विपुल
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