Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जहर भी पी लेंगे सनम...ग़र तेरे हिस्से का जहर हो

 

जहर भी पी लेंगे सनम...ग़र तेरे हिस्से का जहर हो
तेरी काली ज़ुल्फों में अब..... मेरे हिस्से की सहर हो


चाहे दुश्मन हो अस्मा पर....बस तेरा मुझपे मेहर हो
कि मैं जिस डगर भी जाऊँ,मेरी मंज़िल तेरा शहर हो


तेरे खयालो में हो सुबह शाम,तेरे संग ही दोपहर हो
मेरी ज़िन्दगी में हरदम....अब तेरे नाम की लहर हो


बहरहाल भी हो तेरा, आगे भी हाल ऐसा ही बहर हो
तेरा मेहर साथ हो तो, गम नही दुनिया का कहर हो...................विपुल

 

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