Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ज़िन्दगी में आगे बढ़ना...मज़बूरी भी है

 

ज़िन्दगी में आगे बढ़ना...मज़बूरी भी है
मजबूरी से कही ज्यादा ये..जरूरी भी है

 

ओहदो की बंदर बाँट का....खेल देखिये
काबिल वही है जिसमे..जी-हुजूरी भी है

 

उनको काम हो हमसे तो बात है अलग
उलटा हो अगर तो दरमियाँ..दूरी भी है

 

कुछ लोगो पे सवाल...उठाना ग़लत है
बाकी सब के लिए देखिये....जूरी भी है

 

हिंदुस्तान में इश्क के अंदाज़ अलग है
नही नही का ही मतलब...मंजूरी भी है

 

तेरी याद की महक से महक रहा हूँ मै
यादें तेरी यादों के साथ...कस्तूरी भी है

 

 

 

Vipul Tripathi

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