Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ज़िन्दगी ने जब जब मुझे..उठा कर ज़ोर से पटका है

 

ज़िन्दगी ने जब जब मुझे..उठा कर ज़ोर से पटका है
दिल को यही समझाया कि भाई,हल्का सा झटका है

 

दिल को बेवकूफ़ बना के काम चला लेते है
बात हद से बढ़ जाए...तो जाम उठा लेते है

 

ख़ुद के क़ातिल का साथ लिखा किस्मत ने
चलो कत्ल अंजाम होने तक...निभा लेते है

 

कि हमारे इरादों के फौलाद को क्या जानोगे
तंज लोग देते है....तो अनसुना बना लेते है

 

जिंदगी ने ज़िन्दा ही सुपुर्दे खाक जो किया
तो सोचा चलो...बीजों से फूल खिला लेते है......विपुल त्रिपाठी

 

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