Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ज़िन्दगी तेरे खयालो में खूबसूरत सी लगती है

 

ज़िन्दगी तेरे खयालो में खूबसूरत सी लगती है
बेवफ़ा मुझे आज भी तेरी जरूरत सी लगती है

 

 

इतिहास को खोद खोद के रिश्ते भी निकाले है
घर वापसी की ये कितनी शराफ़त सी लगती है

 

 

हाथी हटाने के लिए साइकिल के मुसाफिर को
कमल वाले दलदल से मोहब्बत सी लगती है

 

 

काली सफेद गोटिया हमेशा वही बनी रहती है
बाजिया नई बस नाम की अदावत सी लगती है.......विपुल त्रिपाठी.

 

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