खामोश इश्क में.....सवालों के जवाब मत देखा करो
हक़ीकत ही हो सपना,तो और ख्वाब मत देखा करो
हमारे जुनून-ओ-इश्क पे..टीका टिप्पणी करने वालो
बावले हो जाओगे तुम....... महताब मत देखा करो
हम जैसे फकीर राजाओ के..........जब घर आओ
तो यहाँ पे अप्ना रसूख-ओ-रुवाब मत देखा करो
मयखाना बना लेता है कुछ देर में ख़ुद अपने क़ानून
दो पेग के बाद फिर अदब-ओ-आदाब मत देखा करो
आंखे बता तो देती है ना सब उसके दिल का हाल
बंदिशो में विपुल तुम उसका नक़ाब मत देखा करो...........विपुल त्रिपाठी
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