खाम्खा लड़ते है मुझसे,आप करते है कमाल वैसे ही
हमारी जान है......ख़ुद अपनी जान पे बवाल वैसे ही
जिक्र होने लगा जब धोखो और बेवफाइयो का
तो आ गया हमको आज तेरा खयाल वैसे ही
जमाने में गरीब हम.......रहते तो कब तक रहते
सो करके शायरी समझने लगे मालामाल वैसे ही
दस्ताने इश्क़ में सब....हमारे नसीबों का है कसूर
विपुल उस हसीन तो फेका था तुझपे जाल वैसे ही
.........विपुल त्रिपाठी
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