Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

खेल कुर्सी का हो तो वो.....किसी पे ऐत्बार नही करता

 

खेल कुर्सी का हो तो वो.....किसी पे ऐत्बार नही करता
किसी से नफरत नही करता,किसी से प्यार नही करता

 

जिन आदर्शो उसूलों को लिए उसने....घर-बार छोड़ा था
उन आदर्शो को फेंकने में.....एक पल बेकार नही करता

 

सत्ता का नशा बड़ा जहरीला है..ये बताते ना थकता था
ये जहर कैसे भी मिलें पर अब..वो इनकार नही करता

 

दुनिया तो है मुसाफिरखाना....लगा हुआ है आना जाना
बहुमत हो तो पाँच सालों तक,कोई स्वीकार नही करता

 

 

विपुल त्रिपाठी

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ