के आज फिर दिल में तुझे बुलाने चले गए
दिल बोला तुम तो कब के नजाने चले गए
निकाल लेते थे कोई ना कोई काम पर अब
तेरे बाद तेरी गली आने के बहाने चले गए
याद है हम को वो शुरू की शर्मीली मोहब्बतें
कोई "आशिक" बोल दे तो शर्माने चले गए
ज़िन्दगी तो अब भी है पर हलचल कुछ नही
शहर से जैसे सारे के सारे फसाने चले गए
जिस ब्रेवफा से कभी कोई निभा ही नही सका
विपुल क्यो तुम उस ही से निभाने चले गए.........विपुल त्रिपाठी....
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