कि दिल में मेरे रहा करो...दिल में मुझे रखा करो
प्यार पे जो पहरे है तो...मुझे ख्वाब में मिला करो
मै नजरों से समझ लेता हूँ...तेरी आँखों की शायरी
मै इसी तरह सुना करू.....तुम इसी तरह कहा करो
वो बात जो मैंने कही नही....और तूने भी सुनी नही
वो तन्हाई में बतियाएगी...कि बात उससे किया करो
मै लिख रहा हूँ शायरी....मगर नजर आ रही हो तुम
पढ़ने वालों को बोलिये.....इतने गौर से ना पढ़ा करो
मै तुम्हारे बिन रह ना पाऊँगा......देखिये मर जाऊंगा
चाहे आँसू बना लो मगर....ख़ुद से मुझे ना जुदा करो........विपुल त्रिपाठी
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