Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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की एक तो तेरी ज़ुल्फ ये काली भी कयामत है

 

की एक तो तेरी ज़ुल्फ ये काली भी कयामत है
और उसपे चेहरे की ये लाली भी कयामत है

 

हाय वैसे भी कातिल है तेरी नजर की शुआए
कि सुरमे संग आज तूने ये डाली भी कयामत है

 

हाँ कयामत है कि तेरे माथे पे लगी हुई बिंदी
और कि तेरे कानों की ये बाली भी कयामत है

 

तन्हा होते हि मै तेरी याद में डूबा जाता हूँ
तेरे पीछे मेरा वक्त ये खाली भी कयामत है

 

इन चिलमनो के पीछे से कि जब नजर आता है तू
हाये मुझको लगती तब ये जाली भी कयामत है

 

शरीके हयात के तो साथ कयामत हि कयामत है
सास,ससुर साला और ये साली भी कयामत है

 

सुनते हैं जब ये शायरी तो कहते है कि मसखरा
के मुझको लगती उनकी ये गाली भी कयामत है

 

उन्हें मुझसे कुछ ना कुछ शिकायत ही बनी रहती है
हमने अपने साथ विपुल ये पाली भी कयामत है................विपुल

 

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