के सोच समझ भी लीजिये अह्सानो के पीछॆ
जाने क्या मन्शा निकले... मेहरबानो के पीछे
सारा ज़माना देता है...हम आशिकों को नसीहते
कौन झांकता है.......ख़ुद अपने गिरेबानो के पीछे
दिल खोल के जरा....अजनबियों से मिला कीजिये
हो सकता है मिले अपना कोई.....अनजानो के पीछे
तिनका तिनका चोंच से....बीन के लाता है कोई
ये राज छिपा होता है यहाँ.....आशियानो के पीछे
कुछ तो मजबूरी ने बुलवाया और कुछ वकीलों ने
ये थी हक़ीक़त मुंसिफ को......दिए बयानों के पीछे
शादी की दावतो में कभी....ये भी सोच के देखिये
कि भूखा बच्चा सोता है........ शामियानो के पीछे
मेरे कहानी में इन बदनुमा धब्बों पे ना जाइये
बहुत हसीन चेहरा है......इन निशानों के पीछे
सोच समझ के लीजिए उनसे दर्दे दिल की दवा
खूने जिगर ना मकसद हो....अह्सानो के पीछे
गूंजेगी कयामत तक......शेरो शायरी की सदा
हमेशा रहेंगे शायर यहाँ.......ज़मानो के पीछे
राजा है ये कही का,कैद में है तो क्या हुआ
चिड़ियाघर में है कहानियाँ... बेज़ुबानो के पीछे
ग़ालिब मीर कबीर बशीर और तुलसी निदा फराज़
विपुल तुझसे बड़े आसमान है....आसमानो के पीछे
..................विपुल
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY