Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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किस्मत में जो होता और

 

किस्मत में जो होता और.... मझधार के अलावा भी
तो हम भी सोचते बहुत कुछ.....प्यार के अलावा भी

 

 

रास्ते भी बदल बदल के.......हमने खूब देख लिया
कि मंज़िल मेरी काश होती ........यार के अलावा भी

 

 

पतझड़ के भी मौसम में....उस हसीं को एक बार देखिये
हाँ खिलते हैं फूल यहाँ पे......बहार के अलावा भी

 

 

 

 

...........विपुल त्रिपाठी

 

 

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