Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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माना कभी कभी ये गले से उतरते नही है

 

माना कभी कभी ये गले से उतरते नही है
खयाल मगर इंसान के साथ मरते नही है

 

 

कभी सुकरात बन के कभी मीरा की तरह
खयाल ज़हर को पीने से भी डरते नही है

 

 

गांधी बन जाते है तब आंधी बन जाते है
खयाल सत्ताओ की भी परवा करते नही है........विपुल त्रिपाठी

 

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