नन्ही गुड़िया सोचती है....के काश मै परी होती
सब बच्चो की राहो में..चॉकलेट संग खड़ी होती
गरीबों को देती खाना, कि भूखे तो नही सोने देती
सबको बाटती मै खिलौने, किसी को नही रोने देती
लालची को मै सताती......लुटेरो को भिखारी बनाती
अच्छों को प्यार यूँ बाटती कि कमी नही होने देती
आसमाँ में उड़के बाते चन्दामामा से करी होती
नन्ही गुड़िया सोचती है....के काश मै परी होती
छड़ी जादू की घूमा देती, खूब से झूले मै लगा देती
सब रोते बच्चों को मै ,यूँ झुला झुला के हंसा देती
गरीबों को देती मै पैसे,कि प्यार करती सबको ऐसे
दुनिया में कोई ना रोता,कि सब कुछ ऐसा बना देती
जादू मै फिर जानती और..किसी से ना डरी होती
नन्ही गुड़िया सोचती है.......के काश मै परी होती...................विपुल
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