Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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पगले इसको तू बाज़ार से नही लाया है

 

पगले इसको तू बाज़ार से नही लाया है
तेरे जिस्म को तेरे माँ-बाप ने बनाया है

 

 

अपनी भाग-दौड़ पे यूँ गुरुर करने वालों
तुमको पहला कदम तो माँ ने चलाया है

 

 

दौलत क्या मिली जोरू के ग़ुलाम हुए
तेरी डिलीवरी का खर्च बाप ने उठाया है

 

 

तू अपनी हस्ती की वजह से नही जिन्दा
जिन्दा है के तेरे सर पे माँ का साया है

 

 

तू अपनी जान लेने की कभी ना सोचना
ये जान तेरी नही ये तो माल पराया है.......विपुल त्रिपाठी

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