राहे वफ़ा में जान मेरी जब रुक्सत होगी
कि उस हसीन हो म्रेरे लिए तब फुर्सत होगी
मिलने की बेकरारी में ये भी भूल गए
मुलाकात तो तब होगी जब किस्मत होगी
मेरी दीवानगी की चर्चा अब सारे जहां में है
काश वो भी देखते की गिनती मेरी कहाँ में है
दीवानों में मेरे नाम की जब शिरकत होगी
के उस हसीन हो म्रेरे लिए तब फुर्सत होगी
राहे वफ़ा में जान मेरी जब रुक्सत होगी
कि उस हसीन हो म्रेरे लिए तब फुर्सत होगी
ठोकर पे रख के हम यहाँ सब तख्तों ताज बैठे है
मन्दिर मस्जिद सब कोई हमसे नाराज बैठे हैं
जब तू मिलेगा अपनी तो तब इबादत होगी
कि उस हसीन हो म्रेरे लिए तब फुर्सत होगी
राहे वफ़ा में जान मेरी जब रुक्सत होगी
कि उस हसीन हो म्रेरे लिए तब फुर्सत होगी..................................विपुल
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY