Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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रास्तों को बदलने में देर कितनी लगती है

 

रास्तों को बदलने में देर कितनी लगती है
साथ साथ चलने में देर कितनी लगती है

 

 

आँसुओं से ही सही अर्मानो को हरा रखिए
ख्वाबों को यहाँ जलने में देर कितनी लगती है

 

 

तेरी मदहोश निगाहों को याद कर ज़िन्दा हूँ
वरना उम्र को गु्ज़रने में देर कितनी लगती है

 

 

माना तू मेरे लिए नही बना था तो क्या
शायरी में तेरे ढलने में देर कितनी लगती है

 

 

ये एफ बी के मगरूर दूसरे के पाँव पे खड़े हैं
इनके पाला बदलने में देर कितनी लगती है

 

 

 

 

...........विपुल त्रिपाठी

 

 

 

 

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