Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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रातें कट तो जाती है पर गुजरती नहीं

 

रातें कट तो जाती है पर गुजरती नहीं
कितना भी देखूं तुझे आँखें भरती नहीं

 

हाये बुरा हो मेरी इस मरी मोहब्बत का
रोज़ इसे मारता हूँ मगर ये मरती नही

 

रोजगार हो या इश्क दोनो लत जैसे हैं
एक बार लग जाए तो रहम करती नहीं

 

के इस बेचैनी को इश्क कहते है विपुल
अपनी पे आए तो किसी से डरती नहीं.......................विपुल

 

 

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