Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सज़-धज के हाय जलवे दिखाना भी जरूरी है

 

सज़-धज के हाय जलवे दिखाना भी जरूरी है
और मेरे दिल पे ओफ...निशाना भी जरूरी है

 

खराब तो मै हूँ,मगर सुन के मेरी तरीफे
उनका आये-हाये.....यूँ इतराना भी जरूरी है

 

कर तो सकता हूँ तुझपे दिन रात शायरी
लेकिन जानेमन मेरा यहाँ कमाना भी जरूरी है

 

क्यों तोड़ते है आप मेरा ये शीशे का दिल
आपके रहने के लिए इक ठिकाना भी जरूरी है

 

वो रोज़ मुझसे पूछते है की कितना है इश्क
हाँ बेहिसाब है.....लेकिन पैमाना भी जरूरी है

 

कि दूर् मैं जाऊँ तो भी उसे हाये चैन नही
और पास जो जाऊँ तो शरमाना भी जरूरी है..........विपुल

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