Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

सरकारी पुरस्कारों से डरता हूँ

 

सरकारी पुरस्कारों से डरता हूँ
ये मोहब्बत कभी यूँ ही नही होती

 

इक तेरी बेवफ़ाई छोड दे तो
ये इनायत कभी यूँ नही होती

 

बन्दगी का सबब कुछ तो होगा
यहाँ इबादत कभी यूँ ही होती

 

हर पहलू पे बात होने लगी है
ये कवायद कभी यूँ नही होती

 

ख़ुद आगे हो के सलाम किया
ये नेकनियत कभी यूँ ही नही होती

 

वो हमसे मिलें और मुस्कुरा के मिलें
ये शराफ़त कभी यूँ ही नही होती..........विपुल त्रिपाठी

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ