शांत दिख रहा है,ये तो किनारा है
बीच समन्दर में,और ही नज़ारा है
तूफानों में भी तुझे पुकारा किए
ये सोच के की शायद तू हमारा है
आजमा के देखियेगा जान दे देंगे
यकीन हो हमे कि आपका इशारा है
तुझ से जुदा हो कर भी ऐ जानेजा
वक्त को तेरे तसव्वुर में गुजारा है
अजनबी शहर में ये मेरा अपना है
मेंरे शहर का आसमान में तारा है
इस शहर में मेरा भी एक कोना है
जहाँ पे तेरी यादों का फुव्वारा है
शायरी की दुनिया में एक है विपुल
ये है कि फूटे नसीबों का मारा है..............विपुल
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