Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सुंदर मुंदरिये होय !

 

सुंदर मुंदरिये होय ! तेरा कौन विचारा होय !
दूल्हा भट्टी वाला होय ! दुल्हे धी व्याही होय !
सेर शक्कर पाई होय ! कुड़ी दा लाल पटाका होय !
कुड़ी दा सालू पाटा होय ! सालू कौन समेटे होय !
चाचे चूरी कुटें होय ! जमींदारा लुट्टी होय !
ज़मींदार सधाए होय ! बड़े भोले आये होय !
एक भोला रह गया होय ! सिपाही पकड़ ले गया होय !
सिपाही ने मरी ईट होय ! सानू दे दे लोहरी ते तेरी जीवे जोड़ी !
पहींवे रो ते फन्न्वे पित !”
लोहड़ी के शुभ एवं पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ

 

 

 

विपुल त्रिपाठी

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