Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तेरा ही जिक्र कर के सब

 

तेरा ही जिक्र कर के सब
मेरे दिल को दुखाने आए

 

तन्हा लिए हूँ याद तेरी
कौन ये बोझ उठाने आए

 

लुटा बैठे सुकूनो जान
जो भी यहाँ कमाने आए

 

शायद अब की बहारो में
तिरे आने के जमाने आए

 

इक बार मुझे भी देखिये
कि हम याद कुछ दिलाने आए

 

उसकि गली को देखता हूँ
शायद वो हमे बुलाने आए

 

के तब तक छूट गया जहाँ
जब तक होश ठिकाने आए

 

आए जब भी मुझ तक वो
दिल तोड़ने के बहाने आए

 

शायद घर टूटा कोई
लोग फिर जश्न मनाने आए

 

ये सोच के जागते रहे
क्या पता वो नजाने आए

 

कुछ भी ना बचाया मैंने
हाथ मेरे जब खजाने आए

 

मैय्यत में भी सोचते थे
कि कोई हमे नचाने आए......................विपुल

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