उसका अपना ही करिश्मा है जादू-ए-गुफ्त्गू है-यूँ है
वरना कहने को तो सभी कहते है कि...यूँ है-यूँ है
उपदेशक तुझको पता क्या कि मोहब्बत क्या है
रोज़ आ जाता है समझाता है कि यूँ है-यूँ है
अनजान शख्स बस मिली थी इक बार नजर
ना भूख-प्यास ना नींदो चैन-ओ-सुकूँ है यूँ है
अब तुम आए हो मर्ज-ए--इश्क की दवा करने
जब होश में हूँ खत्म सब सर चढ़ा जुनूँ है यूँ है
तूने देखी ही कहाँ बाग़-ए-वफ़ा की तस्वीर अभी
हर शाख के काँटे की नोक पर बूँद-ए-ख़ूँ है-यूँ है
शायरी हर किसी के लिए नही बनी है विपुल
दिल-ओ-दिमाग वालो का अंदाज़े गुफ्त्गू है यूँ है............विपुल त्रिपाठी
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