उसीकी अपनी ज़ुबानी सुनूँगा कि ये क्यूँ है यूँ है
आप नमक मिर्च डाल के कहते रहो की यूँ है यूँ है
भेजा है उसने आज मुझे ओह ये प्यार का संदेसा
की जरूर इस ख़त का फिर कुछ और ही मजमू है यूँ है
मेरी आवाज़ को जो वो भी सुने तो झूमता हूँ मैं
कभी कभी ही उनके कानों में....रेंगती जूँ है यूँ है
जरा गौर से देखिये मेरी मोहब्बत की ये तसवीर
इसके हर रंग में मिला हुआ मेरा हाय ख़ूँ है यूँ है
बताऊँ इश्क में किस वजह से मैं रहता हूँ परेशान
दरअसल उनकी दुश्मन से भी खूब गुफ्त-गूँ है यूँ है.............विपुल
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