वक्त और है वफ़ा और है.....हालात और है
कई जन्मो के इक़रार की अब बात और है
अब के तुम मिलें तो कस के लिपट जाऊँगा
भूल जाऊँगा तुम और हो अब बात और है
जुमला नही समझूंगा मै एक तो ये इश्क है
फिर उनकी बात और है तुम्हारी बात और है
मुझ से मत उम्मीद करो अब बन्दगी की
खुदा के बेपरदा होने के बाद अब बात और है...........विपुल त्रिपाठी
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