Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वो देते हैं मुझे ज्ञान.........की यूँ होता तो यूँ होता

 

वो देते हैं मुझे ज्ञान.........की यूँ होता तो यूँ होता
और मेरा विद्रोही स्वभाव,कि यूँ होता तो क्यूँ होता

 

तू अपनी दुकान को........कहीं और ले जा के चला
हम तो पूछेंगे सवाल...है ये यूँ होता तो क्यूँ होता

 

तू घंटा भी जानता है क्या.........मोहब्बत के बारे में
जो बताने चला आता रोज़ कि यूँ होता और यूँ होता

 

अरेओ ज्ञानी अरेओ उपदेशक अरेओ "डी के बोस"
मैं ही नही होता ग़र मेरे सिर ना ये जुनूं होता,यूँ होता

 

साहित्य एकेडमी की दुम वाला शायर नही हूँ मै
मारूंगा पकड़ के.....फिर रोते रहना,कि यूँ होता-यूँ होता.............विपुल

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