वो दुर्घटना में घायल बदहवास "मदद मदद चिल्लाता रहा
और ठीक सामने से लोगो का हुजूम आता रहा जाता रहा
ये किस मिजाज के लोग है कि ये किस तरह का शहर है
अंधेरों को रोशनी ना दे....दिन को मोमबत्तिया जलाता रहा
वो किसी का पिता भी था पति भी था भाई और बेटा भी
वो भी तुमसा मुझसा था.....दम तोड़ने तक चिल्लाता रहा
सेलेब्रिटी संग सेल्फी लेने को है सौ सौ धक्के खाते लोग
एक सेल्फी ये भी तो है उनकी जिसे हर कोई छिपाता रहा
किसी को लहुलुहान मरता छोड़ दे क्या वो फिर इंसान है
विपुल वो तू तो नही जो......रुके बिना औफिस आता रहा
विपुल त्रिपाठी
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