Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वो जो दिल था मेरा

 

वो जो दिल था मेरा........वो भी मिला,अजनबी
सब यार दोस्त क्या हुए.,जो भी मिला,अजनबी

 

धूप में अपने ही साये ने...भी मुझे चौंका दिया
कौन है तू मैंने कहा.....हंस के बोला....अजनबी

 

दिल तू मेरे सीने में.....धड़कता ही रहा उम्र भर
लेकिन तेरी धक धक से...मै ही रहा ..अजनबी

 

जो भी मेरे साथ रहा....अजनबी वही बन गया
गर तेरा किस्सा कुछ और है,तो तू सुना..अजनबी

 

मौत के बाद खुदा मिला...बोला तेरा गम बता
मुस्कुरा के ये कहा,तू उम्र भर तो रहा..अजनबी

 

पुरानी अलबम में थी....छत पे कोई फोटो मेरी
सबने कहा ये चाँद है कौन...मैंने कहा....अजनबी

 

तू तेरे हिस्से के नींदो चैन में..सोती रह ज़िंदगी
मेरी बात कुछ और है कि मेरे साथ है..अजनबी

 

गम ख़ुद मेरे साथ से,एक दिन जब उकता गया
बोला तू कौन है मेरा...मैंने कहा........"अजनबी"

 

वो शख्स शबनम के कतरे सा...था मेरी राह में
मैंने उसे छूना चाहा..विपुल वो भी बना...अजनबी......विपुल त्रिपाठी

 

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