Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वो सड़क पे घायल

 

वो सड़क पे घायल..मदद की उम्मीद में चिल्लाता रहा
तमाशाई बन के हुज़ूम का हुज़ूम आता रहा जाता रहा

 

 

ये किस मिजाज़ के लोग है ये किस तरह का शहर है
अंधेरो में उजाले ना बख्शे फिर मोमबत्तिया जलाता रहा

 

 

किसी को लहुलुहान मरता छोड़ दे....क्या वो इंसान है
वो तू तो नही जो हादसे पे,रुके बिना औफिस आता रहा......विपुल त्रिपाठी

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